SHARE MARKET TODAY – पिछले 5 महीनों से भारतीय शेयर मार्केट में जोरदार गिरावट आई है और अभी भी यह गिरावट जारी है इसमें निवेशकों का लाखों करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है बहुत सी टॉप कंपनियों का मार्केट कैप लाखों करोड़ रुपए कम हो चुका है मार्केट के सभी इंडेक्स 12 से 15% तक गिर चुके हैं
सभी इन्वेस्टर्स को हुआ है नुकसान
बड़ी-बड़ी कंपनियों के लार्ज कैप स्टॉक भी 15% से 40% तक गिरावट में चल रहे हैं स्मॉल कैप और मिड कैप स्टॉक की जोरदार पिटाई हुई है जो बड़े ओर लॉन्ग टाइम इन्वेस्टर हैं उनके भी पोर्टफोलियो 15 से 35% तक गिरावट में है
नए इन्वेस्टर के लिए बन रहा है डर का माहौल
गिरावट के दौर में बहुत से डिमैट अकाउंट क्लोज हो चुके हैं शेयर मार्केट में एक डर का माहौल सा बन चुका है इन्वेस्टर समझ नहीं पा रहा है कौन सा शेयर खरीदें कौन सा बेचें कहां इन्वेस्ट करें या शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना छोड़ ही दें यहां तक की म्युचुअल फंड में इन्वेस्ट करने वाले भी अपने सिप को रोक रहे हैं।
क्या है मार्केट की हकीकत
लेकिन जो लंबे समय से मार्केट को जानते हैं इन्वेस्ट कर रहे हैं वह इस बात को समझते हैं की मार्केट में अगर गिरावट आई है तो आने वाले समय में रिकवरी भी जरूर आएगी इसका मुख्य कारण है भारत की इकोनॉमी, भारत एक बहुत ही समर्थ्यशाली देश है विकासशील देश है और इतिहास में भारतीय शेयर मार्केट में इससे भी बड़ी-बड़ी गिरावटों का सामना किया है
मार्केट के इतिहास पर डालें नजर
भारतीय शेयर बाजार ने 1992 के हर्षद मेहता घोटाले से लेकर 2020 के कोविड-19 क्रैश तक कई मंदी के दौर देखे हैं. हर बार बाजार ने रिकवरी की और नई ऊंचाइयों को छुआ. मंदी के दौर में धैर्य रखना सबसे जरूरी होता है. अभी मंदी का दौर है, लेकिन ऐतिहासिक रिकॉर्ड देखें तो यह दौर भी चला जाएगा.
जो शेयर मार्केट में लंबे समय से इन्वेस्ट करते हैं मार्केट को समझते हैं उनके लिए यह गिरावट कोई नई बात नहीं है क्योंकि उन्होंने शेयर मार्केट में इससे पहले भी बड़ी-बड़ी गिरावटों का सामना किया है
जो डर गए उन्होंने गिरावट के दौर में अपना सारा पैसा निकाल लिया और अपने स्टॉक सस्ते में बेच दिए लेकिन जिन्होंने समझदारी दिखाई उन्होंने गिरावट के दौर में भी इन्वेस्ट किया और आने वाले समय में मुनाफा कमाया
कब-कब बाजार ने किया गिरावट का सामना
1992 – हर्षद मेहता घोटाला (55% गिरावट) – 1990 के दशक की शुरुआत में भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल था. हर्षद मेहता नामक एक स्टॉकब्रोकर ने बैंकिंग प्रणाली में खामियों का फायदा उठाकर शेयरों की कीमतों को प्रभावित करने की कोशिश की. जब इसका सच उजागर हुआ, तो सेंसेक्स 55% गिर गया, और निवेशकों के अरबों रुपये डूब गए। बाद में इससे संबंधित कई नए नियम बनाए और थोड़े समय बाद बाजार में रिकवरी आ गई
1990 के दशक के अंत में इंटरनेट आधारित कंपनियों में निवेश का जबरदस्त बुखार था. भारतीय आईटी शेयरों की कीमतें आसमान छूने लगीं, लेकिन यह सब सट्टेबाजी पर आधारित था. जब 2000 में डॉटकॉम बबल फटा, तो भारतीय आईटी शेयरों में 40% की गिरावट आई. कई कंपनियां बंद हो गईं, और मजबूत कंपनियों को भी रिकवर होने में सालों लग गए. लेकिन रिकवरी हुई. जिन्होंने लंबे समय के लिए निवेश किया था, और जिन्होंने सब्र से काम लिया, वे कामयाब हुए.
निफ्टी सितंबर 1995 से अप्रैल 1996 तक लगातार आठ महीने गिरा था और इस दौरान 31% से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई थी. लेकिन थोड़े ही समय में मार्केट ने रिकवर कर लिया
2008 में अमेरिका में रेजिडेंशियल बबल के फटने से पूरी दुनिया में वित्तीय संकट पैदा हो गया. विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से अरबों डॉलर निकाल लिए, जिससे सेंसेक्स में 60% की गिरावट आई. लेकिन 2010 तक बाजार ने पूरी तरह से रिकवरी कर ली और नए कीर्तिमान बनाए.
2013 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपने प्रोत्साहन कार्यक्रम को कम करने की घोषणा की, जिससे वैश्विक निवेशकों में दहशत फैल गई. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारतीय शेयर मार्केट से पूंजी निकाल ली, जिससे सेंसेक्स में 25% की गिरावट आई. लेकिन बाजार सुधारों और सरकार की मजबूत आर्थिक नीतियों ने शेयर मार्केट को जल्दी रिकवर करने में मदद की.
कोरोना काल मैं भी दुनिया के सभी शेयर मार्केट में भयंकर गिरावट आई थी साल 2020 में कोरोना महामारी के कारण एक ही हफ्ते में सेंसेक्स 42,273 अंक से गिरकर 28,288 अंक पर आ गया था। पूरी दुनिया में डर का माहौल था बहुत से स्टॉक्स पर लोअर सर्किट लग रहे थे निफ़्टी बैंक निफ़्टी सेंसेक्स मैं 20 से 30% तक की गिरावट दर्ज की गईअप्रैल 2020 से इसमें रिकवरी देखने को मिली और सेंसेक्स साल के अंत तक 47,751 के स्तर तक पहुंच गया था।
अभी बाजार में क्यों आ रही है गिरावट
पिछले काफी समय से इस बात पर चिंता जताई जा रही थी कि भारतीय बाजार का वैल्यूएशन काफी हाई है मतलब कंपनियों के मार्केट वैल्यू के हिसाब से उनका स्टॉक प्राइस बहुत ज्यादा है इसी डर के चलते फिल्स यानी विदेशी निवेशकों ने लाखों करोड़ रुपये भारतीय शेयर मार्केट से निकाले हैं मार्केट को गिरता देख रिटेल निवेशकों ने भी जोरदार बिकवाली की बहुत सी कंपनियों के नतीजे अच्छे नहीं आए कई देशों में युद्ध की संभावना बनी रहती है यही सब कारण है की मार्केट में लगातार गिरावट का दौर चल रहा है
घबराएं मत मार्केट में होगी शानदार रिकवरी
इतिहास गवाह है कि भारतीय शेयर मार्केट में कितनी भी गिरावट आई हो आने वाले समय में जोरदार रिकवरी भी हुई है भारत की आर्थिक नीतियों के चलते मजबूत इकोनामी और बिजनेस ग्रोथ को देखते हुए भारत को अन्य देशों के मुकाबले निवेश करने का मजबूत प्लेटफार्म माना जाता है और इतनी गिरावट के बाद मार्केट में जो सबसे बड़ा कारण हाई वैल्यूएशन माना जा रहा था वह भी रिसेट हो चुका है
अभी जो विदेशी निवेशक भारतीय शेयर मार्केट से पैसा निकाल रहे हैं थोड़े ही समय में वापस इन्वेस्ट करेंगे और शेयर मार्केट नई ऊंचाइयों को छूएगा
डिस्क्लेमर
जो न्यूज़ अपने पढ़ी है उसका मकसद केवल आपको सही स्टॉक के बारे में सही जानकारी देना है। हम आपको किसी भी स्टॉक में निवेश करने की सलाह नहीं देते हैं। किसी भी कंपनी में इन्वेस्ट करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर लें और अपनी जिम्मेदारी पर ही निवेश करें।